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बच्चों की लाशों पर बिलखती मांएं, सड़कों पर पड़े शव: एक साल गाजा में गुजारते तो क्या-क्या देखा होता; तस्वीरों में 365 दिन की जंग

पिछले एक साल में गाजा में हुई हिंसा ने पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है। इस एक साल में हुई लड़ाई में न केवल इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच टकराव देखने को मिला, बल्कि निर्दोष नागरिकों, खासकर बच्चों और महिलाओं पर इसका प्रभाव भी भयानक रहा। इस रिपोर्ट में हम तस्वीरों के माध्यम से गाजा में बीते एक साल की भयावहता को बयां करेंगे।

बच्चों की लाशों पर बिलखती मांएं

गाजा में युद्ध की छाया में कई परिवार तबाह हो गए हैं। तस्वीरें दिखाती हैं कि कैसे माताएं अपने बच्चों को खोने के बाद विलाप कर रही हैं। सड़कों पर बिखरे शव और अपनों को खोने का दर्द इन तस्वीरों में साफ नजर आता है।

सड़कों पर पड़े शव

गाजा की गलियों में पड़े शवों की तस्वीरें इस बात की गवाही देती हैं कि युद्ध ने किस हद तक तबाही मचाई है। कई परिवारों ने एक साथ अपने सदस्यों को खोया है। शवों के बीच में बैठकर रोतीं मांएं और पिता अपने बच्चों को खोने के गम में डूबे हैं।

युद्ध का प्रभाव

गाजा में एक साल में हुए संघर्ष ने न केवल जनसंख्या को प्रभावित किया, बल्कि स्थानीय बुनियादी ढांचे को भी बर्बाद कर दिया। स्कूल, अस्पताल और अन्य महत्वपूर्ण सुविधाएं बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। लाखों लोग बेघर हो चुके हैं और कई क्षेत्रों में भोजन और चिकित्सा की घातक कमी है।

समुदाय का विघटन

युद्ध ने गाजा के समुदाय को भी तोड़ दिया है। परिवार बिखर गए हैं, और बच्चे अपने माता-पिता को खो चुके हैं। उनकी भावनाएं और मानसिक स्थिति गंभीर संकट में हैं। कई बच्चे युद्ध के चलते PTSD (पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) से ग्रस्त हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

गाजा में हो रही मानवीय त्रासदी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है, लेकिन विवादित राजनीतिक स्थिति के कारण ठोस कदम उठाना कठिन साबित हो रहा है। मानवाधिकार संगठनों ने इस संकट पर चिंता जताई है और तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

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