दिल्ली क्राइम: दिल्ली में किसका दबदबा? 4 दिन में फायरिंग से दहली राजधानी, NCRB के आंकड़ों में दबी चीखें!
दिल्ली की सड़कों पर चार दिनों के भीतर हुई फायरिंग की घटनाओं ने एक बार फिर से राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस दौरान हुए कई हमलों ने न केवल स्थानीय निवासियों को भयभीत किया है, बल्कि दिल्ली की कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों ने इस स्थिति को और भी चिंताजनक बना दिया है, जिससे साफ पता चलता है कि अपराध की दर बढ़ रही है और इसके पीछे कई कारण हैं।
फायरिंग की घटनाएं
हाल ही में दिल्ली में हुई फायरिंग की चार प्रमुख घटनाओं ने राजधानी में दहशत फैला दी है। इनमें से कुछ घटनाएं ऐसे इलाकों में हुईं हैं, जो आमतौर पर सुरक्षित माने जाते थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, फायरिंग के ये मामले गैंगवार और आपसी रंजिश से जुड़े हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दिल्ली में गैंग्स का दबदबा बढ़ रहा है?
NCRB के आंकड़े
NCRB के हालिया आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल दिल्ली में अपराध की दर में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। विशेष रूप से हत्या, गैंगस्टरिज़्म, और बंदूक से संबंधित अपराधों में वृद्धि देखी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बढ़ती आपराधिक गतिविधियों का कारण राजनीतिक अस्थिरता और पुलिस की लापरवाही भी है।
राजनीतिक और सामाजिक पहलू
दिल्ली में बढ़ते अपराध की स्थिति को लेकर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। जहां AAP सरकार ने केंद्र की BJP पर सुरक्षा व्यवस्था को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है, वहीं BJP ने दिल्ली की स्थानीय सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। ऐसे में, यह स्पष्ट हो रहा है कि इस समस्या का समाधान आसान नहीं है।
नागरिकों की सुरक्षा
दिल्ली के निवासियों ने इस स्थिति पर चिंता जताई है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी चिंताओं को साझा किया है, जिसमें सुरक्षा की कमी और पुलिस की लापरवाही की बातें की गई हैं। नागरिकों ने मांग की है कि सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और एक ठोस योजना बनानी चाहिए ताकि ऐसे अपराधों को रोका जा सके।
