उत्तराखंड में जंगल की आग रोकने के लिए सरकार ने कसी कमर
“उत्तराखंड में गर्मियों के आते ही जंगलों में आग (वनाग्नि) लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। इसे रोकने के लिए राज्य सरकार ने अग्रिम तैयारी शुरू कर दी है। शासन ने वन विभाग और आपदा प्रबंधन टीमों को सतर्क रहने और आग से निपटने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं।”
वनाग्नि रोकने के लिए सरकार की रणनीति
सरकार ने जंगलों में आग को रोकने के लिए कई नई योजनाएं बनाई हैं:
- फायर वॉच टावरों की संख्या बढ़ाई जाएगी, जिससे जंगलों में आग की घटनाओं को जल्द पहचाना जा सके।
- ड्रोन और सैटेलाइट मॉनिटरिंग से आग की शुरुआती चेतावनी मिलेगी।
- स्थानीय ग्रामीणों और वन कर्मियों को आग बुझाने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
- सूखी पत्तियों और ज्वलनशील पदार्थों को जंगलों से हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
- आग से बचाव के लिए फायर लाइनों का निर्माण किया जाएगा, जिससे आग एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में न फैल सके।
हर साल बढ़ रही वनाग्नि की घटनाएं
उत्तराखंड के घने जंगल गर्मियों में सूखे और तेज़ हवाओं के कारण आग की चपेट में आ जाते हैं। इससे वन्यजीवों, जैव विविधता और पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। बीते कुछ वर्षों में जंगलों में आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है, जिससे राज्य सरकार ने इसे रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने शुरू किए हैं।
स्थानीय लोगों की भूमिका भी अहम
वनाग्नि को रोकने में स्थानीय लोगों का सहयोग भी बहुत महत्वपूर्ण है। सरकार ग्रामीणों को आग से बचाव और प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग दे रही है ताकि वे किसी भी घटना के समय तुरंत कार्रवाई कर सकें।
