सरकार ने रद्द किए 2000 से अधिक पुराने नियम और कानून: सुधार की दिशा में बड़ा कदम
“सरकार ने सुधार और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 2000 से अधिक पुराने नियमों और कानूनों को रद्द कर दिया है। ये नियम और कानून दशकों से अप्रासंगिक हो चुके थे और शासन प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से जटिल बना रहे थे।”
पुरानी व्यवस्था का बोझ खत्म करने की पहल
कई दशकों से भारत में ऐसे कानून और नियम अस्तित्व में थे जो आज के समय में अप्रासंगिक हो चुके थे। इन कानूनों से न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं में अड़चनें पैदा होती थीं, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी अनावश्यक जटिलता का कारण बनते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन पुराने कानूनों को हटाने की प्रक्रिया को सुधारात्मक और प्रगतिशील कदम बताया। उन्होंने कहा, “सरकार का उद्देश्य नागरिकों के लिए प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाना है। पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को खत्म करना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
कौन-कौन से कानून हुए रद्द?
रद्द किए गए नियमों और कानूनों में ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो औपनिवेशिक काल के समय बनाए गए थे। इनमें से कई कानून उस समय की परिस्थितियों के अनुरूप थे, लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में इनकी उपयोगिता समाप्त हो चुकी है।
विशेष रूप से ऐसे कानून, जो व्यापार, उद्योग, और सामाजिक विकास में बाधा बन रहे थे, उन्हें हटाया गया है। उदाहरण के लिए, कुछ कानून उद्योगों को लाइसेंसिंग प्रक्रिया में उलझाते थे और व्यवसायों के लिए अनावश्यक देरी का कारण बनते थे।
सुधार की दिशा में बड़ा कदम
पुराने कानूनों को हटाने का यह निर्णय न केवल प्रशासन को सरल बनाएगा, बल्कि निवेशकों और उद्यमियों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे व्यापार करने में आसानी होगी और विकास को गति मिलेगी।
नागरिकों को होगा सीधा लाभ
इन कानूनों को रद्द करने से आम नागरिकों को भी राहत मिलेगी। प्रशासनिक प्रक्रियाएं सरल होने के कारण सरकारी सेवाओं का लाभ उठाना अधिक सुगम होगा।
