उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का संदेश: राष्ट्रवाद के प्रति गहरी प्रतिबद्धता से ही देश का विकास संभव
“उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि राष्ट्रवाद के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के बिना किसी भी देश का विकास संभव नहीं है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे राष्ट्र निर्माण में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाएं और देश की तरक्की में योगदान दें।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण तभी हो सकता है, जब उसके नागरिक देश के मूल्यों और संस्कृति के प्रति प्रतिबद्ध हों।
राष्ट्रवाद का मतलब देश के प्रति समर्पण
जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रवाद का मतलब केवल नारेबाजी नहीं है, बल्कि यह देश के प्रति समर्पण और जिम्मेदारी का भाव है। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए और अपने देश की प्रगति में भागीदार बनना चाहिए।
“राष्ट्रवाद का मतलब है अपने देश के हितों को प्राथमिकता देना और हर परिस्थिति में देश के साथ खड़ा रहना।” – उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
देश के विकास के लिए नागरिकों की भूमिका महत्वपूर्ण
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की योजनाओं और नीतियों को सफल बनाने में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी बहुत जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में नागरिकों को जागरूक रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एक देश तब ही विकसित हो सकता है, जब उसके नागरिक अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें।
राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्धता क्यों जरूरी है?
- देश की सुरक्षा और समृद्धि के लिए।
- समाज में एकता और भाईचारा बढ़ाने के लिए।
- राष्ट्रीय मूल्य और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए।
- आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान देने के लिए।
युवाओं से की खास अपील
उपराष्ट्रपति ने खासतौर पर युवाओं से अपील की कि वे देश के भविष्य निर्माता हैं और उन्हें राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को सकारात्मक सोच और देशभक्ति की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
“युवाओं को अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को भी समझना चाहिए। राष्ट्र के विकास में उनका योगदान बेहद जरूरी है।”
