चिंता और अवसाद मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
“नई दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मानसिक स्वास्थ्य पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि चिंता और अवसाद आज समाज के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुके हैं। उन्होंने इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को और सशक्त करने की आवश्यकता पर बल दिया।”
चिंता और अवसाद: बढ़ती चुनौती
- मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहे हैं।
- तनाव, आधुनिक जीवनशैली, सोशल मीडिया का प्रभाव और कार्यस्थल की चुनौतियां मुख्य कारण हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं अब सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य संकटों में से एक हैं।
उपराष्ट्रपति का सुझाव: मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठोस कदम
- मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल करना आवश्यक है।
- शिक्षा प्रणाली में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और परामर्श को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
- कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए।
- मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सामाजिक कलंक को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत।
सरकार और समाज की भूमिका
🔹 सरकार मानसिक स्वास्थ्य नीति को और प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है।
🔹 ‘राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य मिशन’ के तहत मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है।
🔹 ऑनलाइन काउंसलिंग और डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
