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जम्मू-कश्मीर में अप्रैल तक नए आपराधिक कानूनों का पूर्ण क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएः अमित शाह

“नई दिल्ली/श्रीनगर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया है कि नए आपराधिक कानूनों का पूर्ण क्रियान्वयन अप्रैल 2024 तक सुनिश्चित किया जाए। यह बयान गृह मंत्री ने अधिकारियों के साथ आयोजित एक उच्च-स्तरीय बैठक में दिया।”

नए कानूनों की विशेषताएं

सरकार द्वारा हाल ही में पारित किए गए तीन प्रमुख आपराधिक कानूनों को पूरे देश में लागू किया जाना है, जिसमें जम्मू-कश्मीर भी शामिल है। ये कानून हैं:

  1. भारतीय न्याय संहिता (BNS) – यह नया कानून भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लेगा।
  2. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) – यह दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) का स्थान लेगा।
  3. भारतीय साक्ष्य संहिता (BEB) – यह साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की जगह लेगा।

गृह मंत्री अमित शाह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन कानूनों का अप्रैल 2024 तक पूरी तरह से कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाए ताकि न्याय प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, प्रभावी और तेज बनाया जा सके।

जम्मू-कश्मीर में कानूनों के प्रभाव

अमित शाह ने कहा कि इन नए कानूनों के लागू होने से अपराधों की जांच तेज होगी, न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा मजबूत होगी। इसके अलावा, आतंकवाद और संगठित अपराधों पर भी सख्ती से कार्रवाई की जा सकेगी।

प्रशासन को विशेष निर्देश

  • अधिकारियों को पुलिस और न्यायिक संस्थानों को नए कानूनों पर प्रशिक्षण देने का आदेश दिया गया है।
  • जनता को जागरूक करने के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना बनाई जा रही है।
  • डिजिटल ट्रैकिंग और अपराध की मॉनिटरिंग के लिए अत्याधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया है।

सरकार की प्रतिबद्धता

गृह मंत्रालय के अनुसार, इन कानूनों को लागू करने से भारत में कानून व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा, जिससे न केवल न्याय व्यवस्था में तेजी आएगी बल्कि आम नागरिकों को भी त्वरित न्याय मिलने की संभावना बढ़ेगी

यह कदम केंद्र सरकार के उस प्रयास का हिस्सा है जिसके तहत पूरे देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाने और पारदर्शी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जम्मू-कश्मीर में इसका प्रभाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह क्षेत्र पहले से ही सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की चुनौतियों का सामना कर रहा है

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