इंदौर नगर निगम का कचरा प्रबंधन मॉडल: अन्य शहरों के लिए प्रेरणा
“इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के आयुक्त शिवम वर्मा ने कहा कि उनका संगठन देश के अन्य शहरी निकायों को कचरा प्रबंधन और स्वच्छता के क्षेत्र में मार्गदर्शन देने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने पटना में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त किए, जिसे सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन द्वारा आयोजित किया गया था।”
कैसे बना इंदौर सबसे स्वच्छ शहर?
आयुक्त वर्मा के अनुसार, बेहतरीन कचरा पृथक्करण और कचरा आधारित राजस्व मॉडल की वजह से इंदौर ने कई स्वच्छ भारत सर्वेक्षणों में भारत का सबसे स्वच्छ शहर होने का गौरव प्राप्त किया है।
उन्होंने बताया कि मेट्रो रेल निर्माण और अन्य विकास कार्यों के बावजूद शहर ने अपना एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 100 से कम बनाए रखा। यह इंदौर की पर्यावरण-संवेदनशील नीतियों और नागरिकों की सहभागिता का नतीजा है।
2015 से पहले और अब का इंदौर
2015 से पहले इंदौर स्वच्छता के गंभीर संकट से जूझ रहा था, लेकिन अब यह शहर भारत के सबसे स्वच्छ शहरों में अव्वल बना हुआ है। इस सफलता में नागरिकों की भागीदारी और प्रतिबद्धता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आईएमसी का सख्त आईईसी मॉडल
- नया निर्णय लेने की क्षमता – बेहतर सफाई व्यवस्था के लिए तेजी से फैसले लिए जाते हैं।
- उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना – स्वच्छता नियमों को तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होती है।
- लगातार सुधार और नवाचार – नई तकनीकों और रणनीतियों को अपनाकर सफाई व्यवस्था को प्रभावी बनाया जाता है।
क्या सीख सकते हैं अन्य शहर?
इंदौर नगर निगम का यह मॉडल अन्य शहरी निकायों के लिए एक उदाहरण बन सकता है। यदि दूसरे शहर भी कचरा पृथक्करण, सार्वजनिक सहभागिता और कड़े नियमों को अपनाएं, तो वे भी स्वच्छता की इस उपलब्धि को हासिल कर सकते हैं।
