2020 में भारत का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 2019 की तुलना में 7.93% घटा: पर्यावरण के लिए सकारात्मक संकेत
“भारत में वर्ष 2020 में ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई। 2019 की तुलना में 7.93% की इस गिरावट को पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम के रूप में देखा जा रहा है।”
उत्सर्जन में कमी के कारण
- कोविड-19 महामारी का प्रभाव:
- 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने औद्योगिक गतिविधियों, परिवहन और ऊर्जा खपत को काफी हद तक सीमित कर दिया।
- वाहनों और कारखानों से होने वाला उत्सर्जन कम हुआ।
- स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ता कदम:
- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे सौर और पवन ऊर्जा का बढ़ता उपयोग।
- जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों का प्रभाव।
- हरित पहल और वृक्षारोपण अभियान:
- राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर वृक्षारोपण और वन संरक्षण अभियानों ने भी जीएचजी उत्सर्जन में कमी लाने में योगदान दिया।
क्या हैं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत?
भारत में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन मुख्य रूप से ऊर्जा, उद्योग, परिवहन और कृषि क्षेत्रों से होता है।
- ऊर्जा उत्पादन में कोयले और तेल पर निर्भरता।
- औद्योगिक प्रक्रियाओं में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन।
- परिवहन क्षेत्र में पेट्रोल और डीजल वाहनों का योगदान।
भारत की जलवायु परिवर्तन नीतियां
- राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs):
- पेरिस समझौते के तहत, भारत ने 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की तीव्रता को 33-35% तक कम करने का लक्ष्य रखा है।
- उर्जा संक्रमण:
- 2030 तक भारत 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
- अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व:
- अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और ‘मिशन लाइफ’ जैसी पहलें भारत की जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं।
विशेषज्ञों की राय
पर्यावरणविदों का मानना है कि यह कमी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, लेकिन इसे स्थायी रूप से बनाए रखने के लिए दीर्घकालिक प्रयास आवश्यक हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाना।
- परिवहन और औद्योगिक क्षेत्रों में हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाना।
- सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना।
आगे की राह
- शहरीकरण और औद्योगिकरण के साथ संतुलन: विकासशील देश के रूप में भारत को आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना होगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा में बढ़ावा: सौर, पवन और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को प्राथमिकता देना।
- जलवायु अनुकूल कृषि: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए कृषि में आधुनिक और टिकाऊ तकनीकों का उपयोग।
