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दूसरी तिमाही की मंदी से उबर रही है भारतीय अर्थव्यवस्था: सुधार के संकेत स्पष्ट

“भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही की सुस्ती के बाद तेजी से सुधार की ओर बढ़ रही है। वित्तीय विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी और नीतिगत सुधारों के चलते देश की अर्थव्यवस्था ने स्थिरता की ओर कदम बढ़ाए हैं।”

आर्थिक सुधार के संकेत

वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, जीडीपी वृद्धि दर में सुधार के स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं। कृषि, विनिर्माण, और सेवा क्षेत्रों में सकारात्मक वृद्धि ने अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है। उपभोक्ता मांग में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जिससे व्यापार और उद्योग क्षेत्रों में उत्साह देखा जा रहा है।

नीतिगत पहल का असर

सरकार द्वारा किए गए नीतिगत सुधार, जैसे बुनियादी ढांचे पर जोर, एमएसएमई क्षेत्र को समर्थन, और डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहन, ने अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही, वैश्विक बाजारों में भारतीय निर्यात की बढ़ती मांग ने भी आर्थिक सुधार को गति दी है।

प्रमुख क्षेत्रों का योगदान

  • कृषि क्षेत्र: मानसून की अनुकूलता और कृषि उपज में वृद्धि ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल दिया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च करने की क्षमता बढ़ी।
  • विनिर्माण क्षेत्र: उत्पादन में बढ़ोतरी और औद्योगिक गतिविधियों के पुनरुत्थान ने रोजगार और आय सृजन में योगदान दिया।
  • सेवा क्षेत्र: आईटी और डिजिटल सेवाओं में बढ़ोतरी के साथ ही पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में सुधार ने अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दिया।

चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं

हालांकि अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर है, लेकिन वैश्विक मंदी, बढ़ती महंगाई, और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं जैसी चुनौतियां अब भी मौजूद हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन बाधाओं से निपटने के लिए दीर्घकालिक नीतिगत दृष्टिकोण आवश्यक है।

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