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कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता गामिनी और उसके 4 शावकों की स्वच्छंद दौड़

“मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आज एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। चीता गामिनी और उसके चार शावकों को खजूरी पर्यटन क्षेत्र में छोड़ा गया। इन शावकों में दो नर और दो मादा शामिल हैं, जो अब खुले जंगल में स्वतंत्र रूप से विचरण करेंगे।”

वन विभाग की सुरक्षा और निगरानी को मजबूत करने के लिए गामिनी और उसके शावकों को रेडियो कॉलर से लैस किया गया है। इससे वन अधिकारियों को उनकी गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलेगी और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

कूनो में बढ़ी चीतों की संख्या

इन 5 चीतों को जंगल में छोड़ने के बाद, अब खुले जंगल में कुल 17 चीते मौजूद हैं, जबकि बाड़े में 9 चीते शेष हैं। यह चीता पुनर्स्थापन परियोजना के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बयान

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस कदम को प्रदेश की चीता परियोजना और वन्यजीव संरक्षण के लिए अहम बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मददगार होगी, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देगी।

वन्यजीव संरक्षण में कूनो की अहम भूमिका

  • भारत में चीता पुनर्स्थापन का केंद्र – विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने की पहल।
  • पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा – राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटन गतिविधियों में वृद्धि।
  • पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती – जंगल में शिकारियों और शिकार के बीच प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता संरक्षण की यह पहल भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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