सस्ती दवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए जनऔषधि केंद्रों का होगा विस्तार
“नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि सरकार जनऔषधि केंद्रों की जागरूकता बढ़ाने और उनकी संख्या में विस्तार करने पर काम कर रही है। वर्तमान में देशभर में लगभग 15,000 जनऔषधि केंद्र कार्यरत हैं, और इसे वर्ष 2027 तक 25,000 तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।”
उन्होंने बताया कि जनऔषधि दिवस के अवसर पर इन केंद्रों की महत्ता को उजागर किया जाएगा। वर्तमान में इन केंद्रों पर लगभग 2,000 दवाएं और 300 सर्जिकल उपकरण उपलब्ध हैं, जिनका उद्देश्य जनता को सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना है।
जनऔषधि योजना से बड़ी बचत
श्री पॉल ने बताया कि प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत सस्ती दवाएं उपलब्ध कराकर अब तक देशवासियों को 30,000 करोड़ रुपये की बचत करवाई जा चुकी है। इस योजना से न केवल आम जनता को राहत मिली है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच भी व्यापक हुई है।
जनऔषधि केंद्रों का विस्तार क्यों जरूरी?
- सस्ती दवाओं की उपलब्धता – बाजार में महंगी दवाओं का सस्ता विकल्प।
- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार – ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में भी दवाएं उपलब्ध।
- आर्थिक बचत – महंगे इलाज का बोझ कम होगा।
- स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा – भारत में निर्मित दवाओं का उपयोग बढ़ेगा।
