विश्व आर्द्र भूमि दिवस 2025: पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका
“नई दिल्ली, 2 फरवरी 2025: हर साल 2 फरवरी को विश्व आर्द्र भूमि दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य आर्द्र भूमि (Wetlands) के संरक्षण और इसके महत्व पर जागरूकता फैलाना है। इस वर्ष की थीम ‘साझा भविष्य के लिए आर्द्र भूमि का संरक्षण’ रखी गई है, जो इस बात पर जोर देती है कि आर्द्र भूमि का संरक्षण सभी जीवों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए आवश्यक है।”
आर्द्र भूमि क्या होती है और इसका महत्व?
आर्द्र भूमि वे प्राकृतिक क्षेत्र होते हैं जहां पानी स्थायी या अस्थायी रूप से जमा रहता है, जैसे कि झीलें, नदियाँ, दलदली क्षेत्र, मैंग्रोव और जलाशय। ये पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं:
- जल शुद्धिकरण: आर्द्र भूमि प्राकृतिक जल को शुद्ध करने का कार्य करती है।
- जलवायु संतुलन: ये क्षेत्रों में वर्षा को बनाए रखने और तापमान को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं।
- जैव विविधता का संरक्षण: कई प्रकार के वन्यजीवों, पक्षियों और जलीय जीवों के लिए यह महत्वपूर्ण आश्रय स्थल होती हैं।
- बाढ़ नियंत्रण: यह अतिरिक्त जल को अवशोषित कर बाढ़ के प्रभाव को कम करने में मदद करती है।
आर्द्र भूमि संरक्षण की आवश्यकता क्यों?
आधुनिक समय में शहरीकरण, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण आर्द्र भूमि संकट में है।
- भूमि अतिक्रमण: तेजी से बढ़ते निर्माण कार्यों और औद्योगिक विकास से आर्द्र भूमि का नाश हो रहा है।
- प्रदूषण: औद्योगिक कचरा, प्लास्टिक और जहरीले रसायन जलाशयों को प्रदूषित कर रहे हैं।
- जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण आर्द्र भूमि के जल स्रोत सूख रहे हैं और जैव विविधता प्रभावित हो रही है।
भारत में आर्द्र भूमि संरक्षण के प्रयास
भारत सरकार रामसर संधि (Ramsar Convention) के तहत आर्द्र भूमि संरक्षण के लिए कई प्रयास कर रही है। भारत में 75 रामसर स्थल हैं, जिनमें प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, चिल्का झील, लोकटक झील, सुंदरबन डेल्टा आदि शामिल हैं।
सरकार और पर्यावरण संगठनों द्वारा वृक्षारोपण, जल निकायों की सफाई, प्लास्टिक प्रतिबंध और संरक्षण कार्यक्रमों को लागू किया जा रहा है ताकि आर्द्र भूमि को संरक्षित किया जा सके।
नागरिकों की भूमिका
- जल स्रोतों को प्रदूषित न करें और कचरे का सही निपटान करें।
- आर्द्र भूमि क्षेत्रों में पेड़-पौधों को नष्ट करने से बचें।
- सरकार द्वारा चलाए जा रहे पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों में भाग लें।
- जागरूकता फैलाएं और दूसरों को आर्द्र भूमि के महत्व के बारे में बताएं।
