बांग्लादेश के विदेश सचिव ने रोहिंग्या शरणार्थियों और घटती अंतरराष्ट्रीय मदद पर चिंता जताई
“बांग्लादेश के विदेश सचिव ने रोहिंग्या शरणार्थियों को अंतरराष्ट्रीय सहायता में आई कमी और इससे उत्पन्न गंभीर चुनौतियों पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यदि वैश्विक समुदाय ने रोहिंग्या शरणार्थी संकट का समाधान जल्द नहीं निकाला, तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है।”
रोहिंग्या संकट: एक परिचय
रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय म्यांमार के रखाइन प्रांत से 2017 में हिंसा के कारण पलायन कर बांग्लादेश में शरण लेने को मजबूर हुआ। वर्तमान में 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार स्थित शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
बांग्लादेश के सामने क्या चुनौतियां हैं?
📌 अंतरराष्ट्रीय सहायता में कमी: पहले रोहिंग्या शरणार्थियों को आर्थिक मदद मिलती थी, लेकिन अब इसमें गिरावट आई है।
📌 बुनियादी सुविधाओं की कमी: स्वास्थ्य, भोजन और रहने की व्यवस्था बांग्लादेश सरकार के लिए चुनौती बन गई है।
📌 सुरक्षा और अपराध: शिविरों में अपराध और मानव तस्करी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
📌 स्थायी समाधान का अभाव: म्यांमार की सरकार की ओर से रोहिंग्याओं की वापसी को लेकर कोई ठोस पहल नहीं हुई है।
विदेश सचिव का बयान:
बांग्लादेश के विदेश सचिव ने कहा:
“बांग्लादेश ने हमेशा रोहिंग्या शरणार्थियों को मानवीय दृष्टिकोण से देखा है, लेकिन अब हमें अंतरराष्ट्रीय सहायता की अत्यधिक आवश्यकता है। मदद में कमी आने से स्थिति और बिगड़ सकती है।”
उन्होंने वैश्विक संगठनों से इस संकट के समाधान के लिए त्वरित कदम उठाने की अपील की।
अंतरराष्ट्रीय मदद में कमी क्यों आई?
🌍 यूक्रेन युद्ध और अन्य वैश्विक संकटों से ध्यान हटना।
🌍 विकसित देशों की अपनी आंतरिक आर्थिक समस्याएं।
🌍 संयुक्त राष्ट्र और अन्य संस्थाओं द्वारा फंड में कटौती।
