देश में वार्षिक भूजल पुनर्भरण में 15 बिलियन क्यूबिक मीटर की उल्लेखनीय वृद्धि
“भारत में भूजल पुनर्भरण में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश के वार्षिक भूजल पुनर्भरण में 15 बिलियन क्यूबिक मीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। यह उपलब्धि जल संरक्षण, पुनर्भरण परियोजनाओं और बेहतर जल प्रबंधन नीतियों का परिणाम है।”
भूजल पुनर्भरण के महत्व पर जोर
भूजल देश की कृषि, पेयजल और उद्योगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिक विकास के कारण भूजल पर निर्भरता तेजी से बढ़ी है, जिससे भूजल स्तर में गिरावट की समस्या सामने आई। इस चुनौती से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर कई योजनाओं को लागू किया।
प्रमुख योगदान कारक
- जल संरक्षण परियोजनाएं
- चेक डैम, जलाशय और पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण।
- जलग्रहण क्षेत्रों में विशेष प्रबंधन।
- सरकारी नीतियां और योजनाएं
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं ने इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण अभियानों को प्रोत्साहन।
- जन जागरूकता अभियान
- जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न अभियानों का संचालन।
- स्कूलों, कॉलेजों और पंचायत स्तर पर विशेष जागरूकता कार्यक्रम।
राज्यों का योगदान
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने जल पुनर्भरण में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इन राज्यों में सरकार और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर भूजल संरक्षण को प्राथमिकता दी।
विशेषज्ञों की राय
जल विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि भविष्य की जल संकट की चुनौतियों से निपटने में सहायक होगी। वे कहते हैं कि यदि इस गति को बनाए रखा गया, तो यह न केवल जल संकट को कम करेगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी कम करने में मदद करेगा।
भविष्य की योजनाएं
- जल पुनर्भरण संरचनाओं का और अधिक विस्तार।
- भूजल की निगरानी और प्रबंधन के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग।
- वर्षा जल संचयन और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में विशेष योजनाओं का कार्यान्वयन।
