जनवरी 2025 से उत्तराखंड में लागू होगी समान नागरिक संहिता: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
“उत्तराखंड सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जनवरी 2025 से राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस निर्णय को समाज के सभी वर्गों के लिए एक समानता और न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण पहल बताया है। यह घोषणा उत्तराखंड के भविष्य को एक नई दिशा देने का संकेत देती है।”
समान नागरिक संहिता क्या है?
समान नागरिक संहिता (UCC) का मतलब एक ऐसा कानून है, जो सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने और अन्य व्यक्तिगत मामलों पर समान नियम लागू करता है, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों। इसका उद्देश्य भेदभाव को समाप्त करना और समाज में समानता को बढ़ावा देना है।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रेस वार्ता में कहा कि, “समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों को एक समान कानून के दायरे में लाना है। यह संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुरूप है, जिसमें राज्य को समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में प्रयास करने की बात कही गई है। हमारा यह कदम देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगा।”
क्यों जरूरी है समान नागरिक संहिता?
- सामाजिक समानता: इससे समाज में धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव खत्म होगा।
- महिला सशक्तिकरण: महिलाओं के अधिकारों को मजबूत किया जाएगा, खासकर विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के मामलों में।
- कानूनी स्पष्टता: अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों की जगह एक समान कानून होने से न्याय व्यवस्था अधिक पारदर्शी होगी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
जहां एक ओर सरकार इस फैसले को ऐतिहासिक बता रही है, वहीं विपक्षी दलों ने इसे जल्दबाजी में लिया गया निर्णय बताया है। कुछ राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने भी इस पर अपनी आपत्तियां दर्ज करवाई हैं। उनका कहना है कि यह मुद्दा व्यापक चर्चा और सहमति के बाद ही लागू होना चाहिए।
जनता की राय
समान नागरिक संहिता पर जनता की मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे देश और राज्य के विकास के लिए जरूरी मानते हैं, जबकि कुछ इसे परंपराओं और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप के रूप में देखते हैं।
