पूर्वोत्तर भारत: दक्षिण-पूर्व एशिया के विकास का संभावित केंद्र – केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल
“नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने हाल ही में कहा कि आने वाले वर्षों में पूर्वोत्तर भारत दक्षिण-पूर्व एशिया के विकास का केंद्र बनने की अपार क्षमता रखता है। यह बयान उन्होंने क्षेत्र में चल रही बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, व्यापारिक संबंधों और सामाजिक-आर्थिक विकास की संभावनाओं को लेकर दिया।”
पूर्वोत्तर भारत की भूमिका
पूर्वोत्तर भारत भौगोलिक रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया के करीब है और इसे भारत का “पूर्वी द्वार” कहा जाता है। यहां की रणनीतिक स्थिति इसे क्षेत्रीय व्यापार और संपर्क के लिए महत्वपूर्ण बनाती है। मंत्री ने कहा कि क्षेत्र की प्राकृतिक संपदाएं, सांस्कृतिक विविधता और युवा जनसंख्या इसे विकास का नया केंद्र बनाने में सहायक हो सकते हैं।
विकास की मुख्य धुरी
- बुनियादी ढांचा निर्माण: मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर में सड़क, रेल, और वायु परिवहन को बेहतर बनाने के लिए कई प्रमुख परियोजनाएं चला रही है।
- एक्ट ईस्ट पॉलिसी: इस नीति के तहत भारत का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार और संपर्क बढ़ाना है। पूर्वोत्तर इस नीति का अहम केंद्र है।
- पर्यटन: क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत पर्यटन के लिए असीम संभावनाएं प्रदान करती हैं।
- जलमार्ग और बंदरगाह: ब्रह्मपुत्र नदी और अन्य जलमार्ग क्षेत्रीय व्यापार के लिए मजबूत आधार प्रदान कर सकते हैं।
सरकार की प्राथमिकताएं
मंत्री ने बताया कि सरकार की योजना पूर्वोत्तर को दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों जैसे म्यांमार, थाईलैंड, और वियतनाम से बेहतर जोड़ने की है। इस उद्देश्य से त्रिपक्षीय हाईवे परियोजनाओं और मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स हब पर काम हो रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे स्थानीय रोजगार और उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा।
पर्यावरणीय और सांस्कृतिक दृष्टिकोण
सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि विकास को पर्यावरण और स्थानीय संस्कृतियों के संरक्षण के साथ संतुलित किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि क्षेत्र के युवाओं को कुशल बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।
वैश्विक भागीदारी
मंत्री ने जोर दिया कि पूर्वोत्तर भारत दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत की साझेदारी का केंद्र बन सकता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पर्यटन के क्षेत्र में यह एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
