बांग्लादेश: न्यायालय ने इस्कॉन से जुड़ी याचिका पर सरकार से मांगा स्पष्टीकरण
बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने आज सरकार से हिंदू धार्मिक संगठन इस्कॉन की गतिविधियों और इस संबंध में उठाए गए कदमों पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। अदालत में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने और चटगांव तथा रंगपुर में धारा 144 लागू करने की मांग वाली याचिका दायर की गई थी। इसका उद्देश्य संभावित अवांछित घटनाओं को रोकना है।
इस बीच, चटगांव पुलिस ने झड़पों के दौरान अधिवक्ता सैफुल इस्लाम की मौत के मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता चिन्मय प्रभु को भी हिरासत में लेने का प्रयास किया। चिन्मय प्रभु को ढाका पुलिस ने सोमवार को ढाका हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया, जब वह चटगांव के लिए उड़ान पकड़ने पहुंचे थे।
मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच ‘देशद्रोह’ के एक मामले में चटगांव की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर न्यायिक हिरासत का आदेश दिया। इस फैसले के बाद उनके समर्थकों ने उन्हें ले जा रहे पुलिस वाहन को घेर लिया। स्थिति संभालने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस और बल प्रयोग किया।
इससे पहले, 30 अक्टूबर को चटगांव पुलिस स्टेशन में चिन्मय प्रभु और अन्य 18 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उन पर 25 अक्टूबर को चटगांव के लालदिघी मैदान में एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप है, जिसे देशद्रोह का मामला बताया गया।
