मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के घरों को आजीविका की सुरक्षा को बढावा देना
सरकार ने मीडिया की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में पहली छमाही में 16 प्रतिशत की गिरावट आई है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि मनरेगा एक मांग आधारित योजना है और वर्ष अभी जारी है, इसलिए किसी एक व्यक्ति के काम के दिनों को निर्धारित नहीं किया जा सकता।
मंत्रालय ने बताया कि 2014-15 से 2024-25 के बीच 2,923 करोड़ श्रमिक दिन सृजित हुए हैं, जबकि 2006-07 से 2013-14 के बीच यह संख्या सिर्फ 1,660 करोड़ थी। मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ावा देना है, जिसके तहत हर परिवार को साल में कम से कम 100 दिनों का रोजगार देने का प्रावधान है।
इसके अलावा, मंत्रालय ने जानकारी दी कि इस योजना में लगभग 13 करोड़ सक्रिय श्रमिकों को आधार संख्या से जोड़ा गया है, जो कुल सक्रिय श्रमिकों का 99.3 प्रतिशत है। इससे लेन-देन में आने वाली बाधाओं को कम किया जा रहा है। वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए मनरेगा को 86,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो योजना की शुरुआत के बाद का सबसे उच्चतम है। साथ ही, न्यूनतम औसत वेतन दर में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी की गई है।
