हिजबुल्लाह ने पहली बार की सीजफायर की मांग: गाजा में जंग रोकने की शर्त नहीं रखी, इजराइली सैनिकों ने साउथ लेबनान में झंडा फहराया
लेबनान स्थित शिया मिलिशिया संगठन हिजबुल्लाह ने पहली बार इजरायल के साथ सीजफायर की मांग की है। इस कदम ने दुनियाभर में चौंकाने वाला माहौल बना दिया है, क्योंकि हिजबुल्लाह ने इससे पहले कभी इजरायल के खिलाफ अपने आक्रामक रुख से पीछे हटने की बात नहीं की थी। खास बात यह है कि सीजफायर की मांग करते समय उन्होंने गाजा में जारी युद्ध को रोकने की कोई शर्त नहीं रखी है, जो इस कदम को और भी महत्वपूर्ण बना देती है।
सीजफायर की मांग: क्यों अहम है?
हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह ने यह अपील ऐसे समय में की है जब इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच गाजा में भयंकर युद्ध चल रहा है। इस दौरान लेबनान के दक्षिणी हिस्से में भी तनाव बढ़ गया है, जहां इजरायल ने कई हवाई हमले किए हैं। हिजबुल्लाह ने दक्षिण लेबनान में इजरायली घुसपैठ का विरोध करते हुए पहले कई रॉकेट और मिसाइल हमले किए थे, लेकिन अब उनकी सीजफायर की मांग इस क्षेत्र में एक नई कूटनीतिक पहल मानी जा रही है।
इजरायली सैनिकों ने साउथ लेबनान में झंडा फहराया
इजरायली सेना ने हाल ही में दक्षिणी लेबनान में एक सैन्य ऑपरेशन के दौरान एक प्रमुख इलाके पर कब्जा कर लिया और वहां इजरायली झंडा फहराया। यह कदम हिजबुल्लाह के प्रभाव वाले इलाके में इजरायली सैन्य ताकत का प्रदर्शन है। इजरायल की यह सैन्य कार्रवाई और झंडा फहराना न सिर्फ हिजबुल्लाह के खिलाफ एक सैन्य सफलता है, बल्कि लेबनान में उनके प्रभाव को चुनौती देने की भी रणनीति मानी जा रही है।
हिजबुल्लाह की रणनीति में बदलाव
हिजबुल्लाह ने हमेशा इजरायल के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाया है, लेकिन अब पहली बार सीजफायर की मांग ने उनके रुख में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत दिया है। हिजबुल्लाह द्वारा गाजा में जंग रोकने की कोई शर्त नहीं रखना इस बात का संकेत हो सकता है कि वे वर्तमान में लेबनान के भीतर के हालात और इजरायली सेना के लगातार हमलों के दबाव में हैं।
क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
हिजबुल्लाह द्वारा सीजफायर की मांग का असर पूरे मध्य-पूर्व पर पड़ सकता है। यह संकेत देता है कि लेबनान में स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है, और वहां शांति की जरूरत महसूस की जा रही है। इजरायल की ओर से फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि वे हिजबुल्लाह की इस पेशकश पर क्या रुख अपनाते हैं।
