श्री गुरु तेग बहादुर जी का 349वां शहीदी दिवस: बलिदान और सेवा की प्रेरणा
“नई दिल्ली: श्री गुरु तेग बहादुर जी के 349वें शहीदी दिवस को आज पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया। यह दिन न केवल उनके सर्वोच्च बलिदान को स्मरण करने का अवसर है, बल्कि उनके द्वारा स्थापित धार्मिक सहिष्णुता और मानवता के सिद्धांतों को भी पुनः जीवित करने का समय है।”
बलिदान की अमर कहानी
श्री गुरु तेग बहादुर जी, सिख धर्म के नौवें गुरु, को उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान के लिए याद किया जाता है। उन्होंने अपने जीवन को न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए समर्पित किया। उनका बलिदान मुगल सम्राट औरंगजेब के धार्मिक अत्याचारों के खिलाफ साहसिक प्रतिरोध का प्रतीक है।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम
देशभर में गुरुद्वारों और धार्मिक स्थलों पर विशेष कीर्तन और अरदास के कार्यक्रम आयोजित किए गए। दिल्ली के ऐतिहासिक गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब और गुरुद्वारा शीशगंज साहिब में हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। भक्तों ने गुरु जी की शिक्षाओं और उनके बलिदान को याद करते हुए लंगर सेवा और सत्संग में भाग लिया।
उनके योगदान की झलक
- धार्मिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष: गुरु तेग बहादुर जी ने अन्याय और धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने कश्मीरी पंडितों की धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन अर्पित किया।
- आध्यात्मिक शिक्षाएं: उन्होंने मानवता, समानता और करुणा के सिद्धांतों को अपने उपदेशों के माध्यम से प्रचारित किया।
- सिख धर्म का विस्तार: उन्होंने सिख समुदाय को एकजुट करते हुए धर्म और सेवा के मार्ग को आगे बढ़ाया।
आज का महत्व
शहीदी दिवस का उद्देश्य गुरु जी के बलिदान से प्रेरणा लेना और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारना है। यह दिन हमें धार्मिक सहिष्णुता, समानता और मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है।
सरकार और समाज की भागीदारी
कई राज्यों में इस अवसर पर सरकारी और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में विशेष श्रद्धांजलि समारोहों के साथ गुरु जी के बलिदान की महत्ता को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ट्वीट करते हुए कहा, “गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान हमें अन्याय के खिलाफ खड़े होने और मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करता है। उनका जीवन मानवता के लिए एक प्रकाशस्तंभ है।”
