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30 साल तक दोस्ती, फिर कैसे कट्टर दुश्मन बने दोनों देश?

ईरान और इजरायल के बीच के संबंध एक समय पर मित्रवत थे, लेकिन आज यह दो कट्टर दुश्मनों के बीच की लड़ाई में बदल चुके हैं। पिछले तीन दशकों में इन दोनों देशों के बीच हुए घटनाक्रम ने वैश्विक राजनीति को भी प्रभावित किया है। आइए जानते हैं कि कैसे इन दोनों देशों की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई।

दोस्ती की शुरुआत

1980 के दशक में, ईरान और इजरायल के बीच मित्रता का एक मजबूत आधार था। इस समय, ईरान का नेतृत्व शाह रेजा पहलवी कर रहे थे, जिन्होंने इजरायल के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे। दोनों देशों ने सैन्य और आर्थिक सहयोग के कई समझौते किए, जिसमें इजरायल ने ईरान को सुरक्षा प्रौद्योगिकी और सैन्य उपकरण प्रदान किए।

ईरान की इस्लामी क्रांति (1979)

1979 में ईरान की इस्लामी क्रांति ने सब कुछ बदल दिया। शाह को उखाड़ फेंकने के बाद, अयातुल्ला खुमैनी के नेतृत्व में ईरान ने एक इस्लामिक गणराज्य की स्थापना की। इस क्रांति ने इजरायल के प्रति ईरान की स्थिति को बदल दिया और ईरान ने इजरायल को “दुश्मन” के रूप में देखा। इस बदलाव ने न केवल ईरान के आंतरिक राजनीति को प्रभावित किया, बल्कि इसके विदेशी नीति में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाया।

प्रतिस्पर्धा और तनाव का उदय

ईरान ने इजरायल के खिलाफ विरोधी गुटों, जैसे हिजबुल्लाह और हमास का समर्थन करना शुरू किया। इसके जवाब में, इजरायल ने ईरान की परमाणु गतिविधियों को अपने लिए एक प्रमुख खतरा मानना शुरू किया। यह तनाव दोनों देशों के बीच टकराव का कारण बना।

ईरान का परमाणु कार्यक्रम

2000 के दशक में, ईरान का परमाणु कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन गया। इजरायल ने बार-बार चेतावनी दी कि अगर ईरान ने अपने परमाणु हथियार विकसित किए, तो वह उसे अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है। इजरायल ने ईरान के परमाणु स्थलों पर कई हमले भी किए।

वर्तमान स्थिति

आज, ईरान और इजरायल के बीच स्थिति बेहद तनावपूर्ण है। ईरान की मिसाइल तकनीक और इजरायल की सुरक्षा रणनीतियाँ लगातार एक-दूसरे को चुनौती दे रही हैं। दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष टकराव की आशंका बढ़ गई है, विशेषकर जब से ईरान ने क्षेत्रीय आक्रामकता को बढ़ावा देना शुरू किया है।

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