आयुर्वेद में 100 बीमारियों की एक दवा है गिलोय:इसे कब और कैसे खाएं, क्या सावधानियां बरतें
गिलोय, जिसे टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है। इसे “अमृता” भी कहा जाता है, क्योंकि यह कई बीमारियों के लिए लाभकारी है। आइए जानें कि इसे कब और कैसे खाना चाहिए, क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए, और किन्हें गिलोय नहीं खाना चाहिए।
गिलोय का सेवन कब करें?
- सुबह के समय: गिलोय का सेवन सुबह खाली पेट करना सबसे लाभकारी होता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
- दिन में: इसे दिन में एक या दो बार भी लिया जा सकता है, लेकिन सबसे अच्छा समय सुबह है।
गिलोय का सेवन कैसे करें?
- गिलोय का जूस: गिलोय की ताजा डंडी को पीसकर जूस बनाएं और उसमें नींबू और शहद मिलाकर पिएं।
- चूर्ण: गिलोय को सूखा कर उसका चूर्ण बनाएं और एक चम्मच चूर्ण को गर्म पानी के साथ सुबह लें।
- काढ़ा: गिलोय के टुकड़ों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और इसे दिन में एक या दो बार पिएं।
सावधानियाँ
- मात्रा का ध्यान रखें: गिलोय की अधिक मात्रा लेने से पेट में दर्द या अन्य समस्याएँ हो सकती हैं।
- दवा के साथ बातचीत: यदि आप किसी अन्य दवा का सेवन कर रहे हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करें।
- गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाएँ: इन महिलाओं को गिलोय का सेवन करने से पहले चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
किन्हें गिलोय नहीं खाना चाहिए?
- कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग: यदि आपकी इम्यूनिटी बहुत कमजोर है, तो गिलोय का सेवन न करें।
- गर्भवती महिलाएँ: इससे गर्भ में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए इसका सेवन न करें।
- जिन्हें बुखार है: बुखार के दौरान गिलोय का सेवन न करना बेहतर है, क्योंकि यह शरीर के तापमान को प्रभावित कर सकता है।
