आंतरिक्ष यात्रियों का जीवन: सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की ISS यात्रा
नई दिल्ली – 6 जून को रात 11 बजे, बोइंग का स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट भारतवंशी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर को लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचा। हालांकि, स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खामी की वजह से उनकी 8 दिन की यात्रा 8 महीने में बदल गई है। सुनीता और बुच अगले साल फरवरी में धरती पर वापस लौटने की योजना बना रहे हैं। इस समय वे ISS में 9 अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ एक 6 बेडरूम वाले घर जितनी जगह में रह रहे हैं।
आंतरिक्ष में जीवन
दिन की शुरुआत:
- अंतरिक्ष यात्री सुबह जल्दी उठते हैं और अपने स्लीपिंग क्वार्टर से निकलकर ‘हार्मनी’ नामक ISS मॉड्यूल में पहुंचते हैं। यह एक साझा रूम जैसा होता है।
रात की दिनचर्या:
- स्पेस स्टेशन में, पसीने और पेशाब को रिसाइकिल करके पानी बनाया जाता है, जिसे पीने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके बाद, एस्ट्रोनॉट्स अपने दिनचर्या में व्यस्त हो जाते हैं, जो मुख्यतः रखरखाव और एक्सपेरिमेंट्स पर आधारित होती है।
स्पेस स्टेशन का आकार:
- ISS का आकार ब्रिटेन के बकिंघम पैलेस या एक अमेरिकी फुटबॉल फील्ड जितना बड़ा है। इसे कई बसों की तरह खड़ा किया जा सकता है।
संबंध और संचार:
- अंतरिक्ष यात्री अपने समय का एक हिस्सा अपने परिवार से संपर्क करने, गाने सुनने, और चिट्ठियां लिखने में भी लगाते हैं। उनके कम्पार्टमेंट में लैपटॉप होता है जिससे वे अपने परिवार और दोस्तों से जुड़ सकते हैं।
आंतरिक्ष जीवन की चुनौतियां:
- कई बार आधे दिन तक दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों से मुलाकात भी नहीं होती। नासा के एस्ट्रोनॉट निकोल स्टॉट ने कहा है कि ISS में सबसे अच्छे स्लीपिंग बैग उपलब्ध हैं, जो लंबी अवधि के लिए आरामदायक नींद प्रदान करते हैं।
मॉनिटरिंग:
- अंतरिक्ष यात्रियों के हर 5 मिनट को धरती पर मिशन कंट्रोल टीम द्वारा मॉनिटर किया जाता है, जिससे उनकी गतिविधियों और स्वास्थ्य पर नज़र रखी जाती है।
अंतरिक्ष में रहने का अनुभव अत्यंत अनूठा है और इसके लिए असीमित तैयारी, अनुशासन, और समर्पण की आवश्यकता होती है। सुनीता और बुच की ISS यात्रा इसका प्रमाण है कि अंतरिक्ष में जीवन और काम करने के लिए अद्वितीय कौशल और समर्पण की आवश्यकता होती है।
