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तीन नए आपराधिक कानून समकालीन समाज की चुनौतियों से निपटने में सहायक

लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला ने आज तीन नये आपराधिक कानूनों को लेकर जो बयान दिया, उससे यह स्पष्ट है कि सरकार ने इन कानूनों को समकालीन समाज की ज़रूरतों और चुनौतियों के मद्देनज़र तैयार किया है। उनके अनुसार, इन कानूनों पर सदन और स्थायी समिति में गहन विचार-विमर्श किया गया और तब इन्हें स्वीकृत किया गया, जो यह दर्शाता है कि ये कानून समाज की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।

श्री बिरला ने यह भी बताया कि 75 वर्षों में भारत की न्याय व्यवस्था को मजबूत किया गया है और जनता की न्याय व्यवस्था में विश्वास अडिग है। उन्होंने यह सुझाव दिया कि विभिन्न देशों के अधिकारी जो इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं, उन्हें भारत की कानूनी व्यवस्था, संसदीय प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक प्रणालियों की सही समझ होनी चाहिए, ताकि वे भारत की प्रणाली को बेहतर तरीके से समझ सकें।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि भारत हमेशा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करता रहा है और मानवाधिकारों का दृढ़ समर्थन करता है। यह भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि हर नागरिक के सम्मान, स्वतंत्रता और समानता को सुनिश्चित किया जाए। उनके इस बयान में भारत की लोकतांत्रिक और कानूनी व्यवस्था के प्रति गर्व और दुनिया में भारत के योगदान की ओर इशारा किया गया।

इन बयानों से यह संकेत मिलता है कि भारत अपने कानूनी और संसदीय ढांचे को वैश्विक दृष्टिकोण से एक सशक्त और जिम्मेदार लोकतंत्र के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में काम कर रहा है।

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