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कोलंबो में ‘वॉयेज श्रीलंका 2024’ सम्मेलन: नीली अर्थव्यवस्था पर चर्चा

कोलंबो में आज हिंद महासागर क्षेत्र में नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) की संभावनाओं पर केंद्रित एक सम्मेलन ‘वॉयेज श्रीलंका: 2024’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम ने क्षेत्रीय हितधारकों और विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर नई आर्थिक संभावनाओं पर चर्चा का अवसर दिया।

भारत-श्रीलंका सहयोग पर जोर

भारत-श्रीलंका चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष, डॉ. नरेश बाना ने सम्मेलन में अपने विचार रखते हुए कहा कि ‘पड़ोसी पहले’ की नीति भारत और श्रीलंका के बीच व्यापारिक और वाणिज्यिक संबंधों को मजबूत करने के लिए अहम है।

उन्होंने कहा कि भारत ऊर्जा, बंदरगाह, रेलवे, और अन्य क्षेत्रों में श्रीलंका की सहायता कर रहा है। डॉ. बाना ने यह भी उल्लेख किया कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से भारत ने श्रीलंका को क्षमता निर्माण, वित्तपोषण, और परियोजनाओं के क्रियान्वयन में मदद की है, साथ ही 500 मेगावाट की पवन ऊर्जा क्षमताओं के विकास में भी योगदान दिया है।

नीली अर्थव्यवस्था पर विशेषज्ञों की बैठक

श्रीलंका के निर्यात विकास बोर्ड द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में नीली अर्थव्यवस्था की भूमिका और संभावनाओं को रेखांकित करना था। चर्चा के दौरान बताया गया कि नीली अर्थव्यवस्था भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 4 प्रतिशत का योगदान देती है।

यह सम्मेलन क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।

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