इजराइली सेना ने हिजबुल्लाह के 250 लड़ाके मारे: सीरिया से संपर्क तोड़ा; बाइडेन ने इजरायल को ईरान के परमाणु अड्डों और तेल भंडार पर हमला न करने की दी सलाह
इजरायली सेना ने हाल ही में एक बड़े ऑपरेशन में हिजबुल्लाह के 250 लड़ाकों को मार गिराने का दावा किया है। इस सैन्य कार्रवाई के बाद, इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह के सीरिया से संपर्क को भी काट दिया है। वहीं, दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल से आग्रह किया है कि वह ईरान के परमाणु अड्डों और तेल भंडार पर हमला न करे, जिससे क्षेत्र में स्थिति और गंभीर न हो जाए।
इजरायल की सैन्य कार्रवाई
इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह के खिलाफ एक बड़ी सैन्य कार्रवाई की है, जिसमें उन्होंने लगभग 250 लड़ाकों को मार गिराया। हिजबुल्लाह, जो लेबनान में सक्रिय एक सशस्त्र समूह है, लंबे समय से इजरायल के लिए एक गंभीर सुरक्षा चुनौती रहा है। इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य हिजबुल्लाह की गतिविधियों को कमजोर करना और उनके सैन्य ढांचे को ध्वस्त करना था।
इजरायल ने हिजबुल्लाह के लड़ाकों के सीरिया के साथ संपर्क को काटने में भी सफलता हासिल की है, जोकि उनकी लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए महत्वपूर्ण था। इस सैन्य ऑपरेशन के बाद इजरायल ने अपनी सीमाओं की सुरक्षा को और भी मजबूत किया है।
बाइडेन की सलाह
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल को सलाह दी है कि वह ईरान के परमाणु अड्डों और तेल भंडार पर हमला न करे। बाइडेन का मानना है कि अगर इजरायल ने इस तरह की कार्रवाई की, तो यह पूरे क्षेत्र को एक बड़े संघर्ष की ओर धकेल सकता है। बाइडेन ने इजरायल से आग्रह किया कि वह कूटनीति के माध्यम से इस मुद्दे का हल निकाले, न कि सैन्य कार्रवाई के जरिए।
ईरान-इजरायल तनाव
ईरान और इजरायल के बीच तनाव लंबे समय से बना हुआ है, खासकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर। इजरायल का आरोप है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम के जरिए हथियार विकसित कर रहा है, जबकि ईरान इस आरोप का खंडन करता है। बाइडेन प्रशासन की चिंता यह है कि अगर इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, तो इससे पूरे मध्य पूर्व में स्थिति और भी तनावपूर्ण हो सकती है और यह वैश्विक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इजरायल की सैन्य कार्रवाई और बाइडेन की चेतावनी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच यह संघर्ष आगे और भड़क सकता है। वहीं, ईरान और इजरायल के बीच किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई से वैश्विक तेल आपूर्ति और सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है।
